Advertisement

दृढ़ इच्छाशक्ति【Life changing Story】

वर्ष 1883 में अमेरिका में जॉन रैम्बलिंग नाम के इंजीनियर core New York evam long island ko jodne wala pul banane ka vichar Aaya is baare mein Jab usne an engineer se baat ki  तो उन्होंने रैंबलिंग का मजाक उड़ाया एवं उसे इस बेवकूफी भरा काम करने से मना किया सभी का कहना था कि अब पुल बनाना संभव है।

  जॉन रैम्बलिंग इस बात से सहमत नहीं थे उनके हृदय कहता था कि वह पुल पर निश्चित रूप से बना सकते हैं।उन्होंने किसी तरह अपने अरियल पुत्र वाशिंगटन को पुल निर्माण के लिए तैयार कर लिया।।           
                                      दोनों पिता-पुत्र ने रात-दिन एक करके इस पुल के सैकड़ों नक्शे तैयार किए एवं इस कार्य में आने वाले हर व्याधा उनका समाधान टूटते हुए आगे बढ़े।
       अपूर्व उत्साह एवं लगन से बहुत चुनौतीपूर्ण एवं लगभग असंभव से कार्य में जुट गए। काम सही तरह से चल रहा था ।कुछ ही महीने गुजरे थे कि निर्वाना स्थल पर एक दुखद हादसे में जॉन ट्रैवलिंग की मृत्यु हो गई ।उनके पुत्र वाशिंगटन के मस्तिष्क में कुछ ऐसा घात लगा कि वह चलने फिरने में बात करने लायक नहीं रहा।लोग उसके बारे में तरह-तरह की बातें करने लगे ।किसी भी उसके हाल हौसले की तारीफ नहीं की। दूसरे इंजीनियरों ने कहा कि अब काम समेट लेना चाहिए।।।।                      शारीरिक असमर्थता के बाद भी वाशिंगटन हतोत्साहित नहीं हुआ। वह अपँग के बाद भी ने उत्साह एवं लगन से अपने पिता के सपने को पूरा करने में जुट गया। उसका शरीर ध्वस्त हो चुका था। अस्पताल में अपने कमरे में लेटे हुए उसके दिमाग में अद्भुत विचार कौन था उसने अपनी उंगली हिला कर अपनी पत्नी से संवाद करने का तरीका खोज लिया। वह अपनी पत्नी को हाथ की उंगलियों की धड़कन से बता देता इंजीनियरों को क्या करना चाहिए। ऐसी अवस्था में किसी तरह काम पुनः शुरू हुआ हुआ और अगले 13 वर्षों तक वाशिंगटन अपनी पत्नी की बात पर अपनी उंगलियों से संगीत दर्शा कर निर्देश देता रहा।अंतर पुल बन गया। आज वह शानदार ब्रुकलिन पुल अपने विराट एवं कारीगरी से देखने वालों को मुक्त कर देता है।वह हमें बताता है कि अदम्य इच्छाशक्ति और लगन के सामने हर परिस्थिति पराजित हो जाती है। साथी वह हमें उस जिओ वाले लोगों के बारे में भी बताता है जिन्हें दुनिया पागल समझती है वह उसे स्त्री अपने पति के लिए प्रेम एवं समर्पण की भी कहानी सुनाता है जो वर्षों तक अपनी बांह पर अपने विकलांग पति के संदेशों को उसकी हमको लिखकर इंजीनियरों को बताती रही क्या करना है।

यह सच्ची कहानी अदम इच्छा शक्ति के बल पर असंभव को संभव बनाने का संदेश देती है।
        


2 Comments:

Post a Comment

Please comment