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A DEATH POEM

                         मौत का मंजर 
था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था |
बड़े ही   प्यार से मुझे नहलाया  जा रहा  था|
न जाने था कौन सा  अजब खेल मेरे घर में ,
बच्चो की तरह मुझे कंधो पे उठाया जा रहा था ||
था पास मेरे हर -अपना उस वक़्त भी ,
मै  हर किसी के  मुँह से बुलाया जा रहा था
जो  कभी देखते+ भी  न थे ,ंमोह्हबत की  से
उनके  दिल से  भी प्यार  मूझे  लुटाया +जा  रहा था


 मालुंम नही क्यों हैरां था हर कोई मुझे सोते हुए देखकर
जोर जोर  से रोकर मुझे हसाया जा रहा था
काँप उठी मेरी   रूह मेरा  वह मकाम देखकर
जहाँ मुझे हमेशा के लिए सुलाया  जा रहा  था
ंमोह्हबत की  इम्तेहां थी जिन दिलों में मेरे लिए
उसी  घर से  आज एक पल में भूलाया जा  रहा था  |||||||||

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                 WRITTER:-MD.ASAR SHAIKH (NA) 

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