"""हर कोई जीतना चाहता, सफल होना चाहता है ,विजेता की तरह अपनी पहचान बनाना चाहता है, सफल व्यक्तियों की पंक्ति में अपना स्थान बनाना चाहता है ,पर क्या सब जीते हैं? क्या सब सफल होते हैं ???
सीधा सा उत्तर है---नहीं।
जो व्यक्ति जीत दर्ज करता है, या सफल होता है ,वह अन्य व्यक्तियों से कुछ हटकर तो है ।विजेता में कुछ तो खास बात है कि वह जीत गया। फिर से कुछ अलग हटकर करने की उसने ढाणी तभी वह जीत दर्ज करने में कामयाब हुआ।
'जीत' के लिए आवश्यक है कि जीत की उत्कट इच्छा। वस्तुत:हर विजेता के मस्तिष्क में जितने की अपरिमित लाल से व्याप्त रहती है।
जीवन में अगर जीतना चाहते हैं, तो जीत के लिए अदम्य लालसा पैदा करें।जीत के लिए उत्कट इच्छा व्यक्ति में दृढ़ संकल्प पैदा करती है। यह दृढ़ संकल्प ही तो उसमें आत्म्ववविस्वास जागृत करता है। आत्मविश्वास सेे ही व्यक्ति में मेहनत करने का जज्बा जागृत केेरता है।
हर जीत एवम हर सफलता हेतु सर्वभूत केंद्रित मेहनत की आवश्यकता है।
सीधा सा उत्तर है---नहीं।
जो व्यक्ति जीत दर्ज करता है, या सफल होता है ,वह अन्य व्यक्तियों से कुछ हटकर तो है ।विजेता में कुछ तो खास बात है कि वह जीत गया। फिर से कुछ अलग हटकर करने की उसने ढाणी तभी वह जीत दर्ज करने में कामयाब हुआ।
'जीत' के लिए आवश्यक है कि जीत की उत्कट इच्छा। वस्तुत:हर विजेता के मस्तिष्क में जितने की अपरिमित लाल से व्याप्त रहती है।
जीवन में अगर जीतना चाहते हैं, तो जीत के लिए अदम्य लालसा पैदा करें।जीत के लिए उत्कट इच्छा व्यक्ति में दृढ़ संकल्प पैदा करती है। यह दृढ़ संकल्प ही तो उसमें आत्म्ववविस्वास जागृत करता है। आत्मविश्वास सेे ही व्यक्ति में मेहनत करने का जज्बा जागृत केेरता है।
हर जीत एवम हर सफलता हेतु सर्वभूत केंद्रित मेहनत की आवश्यकता है।
ज़िद का अर्थ
ज़िद का अर्थ है ---सारी शक्तियों में वक्ताओं को जीत हेतु संकल्पित करें। अपनी जीत की पूर्ति हेतु पुरुषार्थ करें ।ज़िद का अर्थ बच्चों की जीद जैसा नहीं बल्कि किसी ऊंचाई को छूने और किसी सफलता को अर्जित करने हेतु किया गया अदम्य या अटूट संकल्प है। जीत का अर्थ अपनी इच्छा को समेटकर, अपनी योग्यतााा शक्ति एवं काबिलियत से भी बढ़कर पुरुषार्थ कर, किसी इच्छित सफलता को प्राप्त करने हेतु संकल्पित होना है। किसी भी सफलता हेतु आवश्यक है संकल्प【Determination】करने की।यदि आपका संकल्प अटूट और अदम्य साहस हो,तो सफलता अवश्य ही मिलेगी।
अदम्य संकल्प के बल पर ही तो स्वतंत्रता सेनानी, समूचेेे विश्व में पताका फहराने वाले ब्रिटिश साम्राज्य से हमारे देश को स्वतंत्र करानेे में सफल हुए। यह जिद ही तो थी ,महात्मा गांधी की, पंडित जवाहरलाल नेहरु की, सुभाष चंद्र बोसकी,भगत सिंह की, सरदार पटेल की, चंद्रशेखर आजाद की एवम स्वतन्त्रता केे अन्य Great सुरवीरों की,जिससे अंग्रेजों को भारत छोड़ना ही प्रा।संकल्प शक्ति के बल पर ही असंभव सा दिखाई देने वाला कार्य सम्ब्भव हो सका।मात्र लँगोटी, अंगोंोोछेछे में रहने वाले गांधी, अपनीीी अपने संकल्पप शक्ति के बल पर अंग्रेजो को देश से बाहर निकलने में सफल हो पाए।जिद की पूर्ति हेतु अगर सही रूप एवं सहीीी दिशा में प्रयास किया जाए कार्यय किया जाए तो सफलता मिलती ही है।
""ज़िद जरूरी है,अच्छी वाली""
To be continued......
Next:-जिद तो करो..
👊👊👊👊👊👊👊👊👊👊👊👊👊👊👊👊
4 Comments:
Please support me👍👍👍
Nice, keep writing
Very good...Good work.
Bahut badhiya jankari
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